तीस पैंतीस साल की उम्र तक पहुंचते ही महिलाओं के शरीर का ढलाव शुरू हो जाता है। चेहरे पर रूखापन और थकान स्पष्ट झलकने लगती है। असावधानी के कारण हर वर्ष इस गति में ही ज्यादा तेजी आने लगती है। बढ़ती हुई उम्र का प्रभाव शरीर पर ही नहीं, चेहरे पर भी साफ तौर से झलकने लगता है।
महिलाएं सुंदर दिखाई पड़ने के लिये नये नये सौंदर्य प्रसाधनों और तरह-तरह के लेप व लोशनों का जी भर कर प्रयोग करती हैं जिससे त्वचा में आने वाले ढलाव को छिपा लिया जाये परन्तु यह प्रयोग स्थाई नहीं है। मेकअप के उतरते ही असलियत सामने आ जाती है और क्रूर उपहास सा करती हुई प्रतीत होती है।
वैसे तो परिवर्तन जग का अटल नियम है। समय के साथ-साथ उम्र तो बढ़ेगी ही और आने जाने वाले हर मौसम में इसके प्रभाव से शरीर अछूता नहीं रहेगा। यदि इन सब से हटकर, आदिकाल से उपयोग में लाए जा रहे निरापद घरेलू प्रसाधनों का प्रयोग करके त्वचा को शुरू से ही संभाला जाये तो त्वचा उम्र को चुनौती देती हुए प्रतीत होगी। कम से कम दस-पन्द्रह वर्ष तक तो चेहरे का आकर्षण बनाए रखा जा सकता है।
चेहरे को आकर्षक और युवा-सा बनाए रखने का घरेलू उपचार है उबटन। उबटन वह पारम्परिक लेप है जिस पर महंगे प्रसाधनों की तरह न तो कुछ खर्चा करना पड़ता है और न ही त्वचा पर इसका कोई विपरीत प्रभाव पड़ता है। यह एक निरापद और कारगर उपचार है। ब्यूटी पार्लर में जाकर आपको समय बरबाद नहीं करना पड़ता।
उबटन घर पर ही चलते फिरते तथा घरेलू सामग्री से ही तैयार करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसके नियमित रूप से इस्तेमाल करने पर चेहरे पर पोषण, स्वच्छता, स्निग्धता, चमक और कमनीयता कुछ ही दिनों में भरपूर झलकने लगेगी।
दूध की मलाई, क्रीम या फिर दूध के भगौने की तली में लगी दूध की खुरचन, पांच-सात बूदें नींबू के रस की, थोड़ी हल्दी और आटा मिलाकर गूंध लें। इसे चेहरे, गरदन और हाथों पर रगड़-रगड़ कर मैल की बत्तियां उतार दें। इस तरह रगड़ने से त्वचा के रोम छिद्र खुल जाते हैं और रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। इस तरह मृत और निस्तेज त्वचा में जान सी पड़ जाती है और त्वचा पर आया आकर्षण और निखार स्वयं ही दिखाई पड़ने लगता है।
सर्दियों के दिनों में खुश्क, तेज और ठंडी हवाएं चलती हैं। गरमी के मौसम में लू का प्रकोप बना रहता है। ऐसे में आपकी त्वचा का रक्षा कवच बनता है उबटन। उबटन इन दोनों ही मौसमों में राहत देता है और त्वचा की खुश्की, धूप की जलन को दूर भगाता है। उबटन का प्रयोग नीचे से ऊपर की ओर हाथ चलाने के क्रम से करना चाहिए।
यह स्मरण रहे कि उबटन को बार-बार नया रूप देना अर्थात् उसमें भिन्न-भिन्न सामग्रियों का उपयोग करना सही नहीं है। एक सी ही सामग्री अधिक प्रभावकारी सिद्ध होती है क्योंकि उबटन से त्वचा पर कोई पार्श्व प्रभाव या विपरीत असर नहीं पड़ने पाता और इसका उपयोग बाजारू, सौन्दर्य प्रसाधनों से अधिक लाभप्रद तो है ही, साथ ही उन महिलाओं के लिये जो ऐसे महंगे उपचार बरदाश्त नहीं कर सकती, चेहरे के लिए वरदान है।
उबटन रोमकूपों में छिपी मैल और गंदगी को दूर करता है, झुर्रियों को हटाता है तथा कील मुहांसों का होना समाप्त करता है।
उबटन का नियमित प्रयोग आपके रंग को निखारता है, त्वचा को कांतियुक्त और आकर्षक बनाता है। त्वचा दाग धब्बों रहित हो जाती है। इसके उपयोग से कोई भी हानि नहीं है। बिना धन और समय बरबाद किये ही आपका काम बन जाता है, लम्बे समय तक त्वचा को साफ सुथरा और चमकदार रखने के लिये उबटन से बेहतर और कुछ नहीं।