शरीर रहे फिट, 40 के बाद

ज्यों ज्यों उम्र बढ़ती है, जिम्मेदारियां और तनाव बढ़ते जाते हैं। विशेषकर महिलाओं के लिए उम्र के साथ चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं। चुनौतियां सिर्फ पारिवारिक ही नहीं, स्वास्थ्य संबंधी भी बढ़ जाती हैं।  अक्सर महिलाओं को 40 वर्ष की उम्र के बाद मेनोपॉज समस्या शुरू हो जाती है जो अन्य कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जननी बन जाती है जैसे डिप्रेशन, आर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस, हार्ट संबंधी बीमारियां, डायबिटीज, कैंसर जैसे भयावह रोग।
अगर हम मानसिक रूप से पहले से तैयार रहें कि ये समस्याएं उम्र के साथ अक्सर किसी न किसी रूप में सताने वाली हैं तो हम परेशान होंगे। अपने स्वास्थ्य के प्रति समय रहते जागरूक हो जाएं तो कुछ हद तक इन समस्याओं से दूरी बना सकते हैं, ऐसा एक्सपर्टस का कहना है।


मेनोपॉज
अक्सर महिलाओं को 40 की उम्र के बाद इस समस्या से जूझना पड़ता है। मेनोपॉज का अर्थ है मासिक चक्र का ठहराव। ऐसे में मासिक चक्र में अनियमितता, अधिक रक्तस्त्राव या कम रक्तस्त्राव होता है, फिर धीरे धीरे बंद हो जाता है। जब महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन कम बनने लगता है, तब यह समस्या शुरू हो जाती है। आइए जानें लक्षण।


लक्षण
नींद कम आना, वजन में बढ़ोत्तरी होना।
याददाश्त कमजोर पड़ना।
त्वचा और बालों में रूखापन बढ़ना।
जोड़ों में दर्द की शुरूआत होना।
सिरदर्द, चक्कर की शिकायत का बढ़ना।
बार-बार पेशाब आना।
पति के साथ संबंध बनाने की इच्छा का न होना।
चड़चिड़ापन, उदासी, बेचैनी, चिंता का बढ़ना।
ये सब परेशानियां हार्मोन  के कम बनने से होती हैं। कुछ समय बाद परेशानियां दूर होने लगती हैं।


खानपान का रखें ध्यान
अधिक तीखा और तला हुआ न खाएं।
धूम्रपान और शराब के सेवन से परहेज रखें।
फल, साबुत अनाज और सोयाबीन का सेवन बढ़ाएं।
हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन अधिक करें जैसे पालक, बथुआ, मेथी आदि।
दो गिलास दूध नियमित लें ताकि शरीर में कैल्शियम की कमी न हो।
नमक, चीनी, चर्बीयुक्त चीजों का सेवन कम से कम करें।
शाकाहारी महिलाएं अलसी, सीताफल के बीज, बादाम, सनफ्लावर बीज खाएं ताकि ओमेगा 3 शरीर को मिलता रहे।


मांसाहारी महिलाएं मछली का सेवन करें।
इसके अतिरिक्त तनावग्रस्त न रहें। पसीना अधिक आने पर लंबी-गहरी सांसें लें, गर्मी लगने पर कूलर, एसी का प्रयोग करें।


व्यायाम
अश्विनी क्रिया करें। इसमें अपने प्राइवेट पार्टस को ऊपर की ओर खींचें, छोड़े। दिन में कई बार इस क्रिया को करें। बार-बार पेशाब की समस्या में आराम मिलेगा। प्रातः की धूप का सेवन करें। हड्डियों की मजबूती के लिए सूक्ष्म क्रियाएं नियमित करें ताकि जोड़ों में जकड़न न आए।


अस्टियोपोरोसिस और आर्थराइटिस :-
बढ़ती उम्र में हड्डियां घिसने लगती हैं। इसे आर्थराइटिस कहते हैं और जब हड्डियां कमजोर पड़ने लगे तो उसे आस्टियोपोरोसिस कहते हैं। इन दोनों परिस्थितियों में नियमित व्यायाम ही बचा सकता है। इसके लिए सैर, जागिंग, तैराकी, साइक्लिंग, योगासन, स्ट्रेचिंग सप्ताह में 5-6 दिन 30 से 50 मिनट तक अवश्य करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहना अति आवश्यक है। अगर हम 30 वर्ष से ही अपनी सेहत का ध्यान रखना शुरू कर दे ंतो समस्याओं से काफी हद तक बचा जा सकता है।


खानपान
संतुलित आहार लें। प्रोटीन और कैल्शियम युक्त भोजन नियमित करें।
बींस, टोफू,ब्रोकली, सोयाबीन को अपने आहार का नियमित पार्ट बनाएं।
हरी सब्जियां ताजे फल खाएं।


प्रातः की धूप का सेवन करें।
डाक्टर की सलाह अनुसार आवश्कता पड़ने पर कैल्शियम और विटामिन डी ओरली लें।


कैंसर
भारत में अधिकतर महिलाएं ब्रेस्ट और गर्भाशय के कैंसर की शिकार होती हैं। ये कैंसर अधिकतर 40 साल से अधिक उम्र वाली महिलाओं को होते हैं। अगर समय रहते इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है। अज्ञानतावश न पता चले तो परिणाम बुरे हो सकते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर में ब्रेस्ट की स्किन का रंग बदलता है निप्पल से गाढ़ा स्त्राव होना, निप्पल का अदर धंसना,  ब्रेस्ट में गांठ होना, गड्ढा होना, निप्पल सिकुड़ना आदि लक्षण होने पर मेमोग्राफी डाक्टर की सलाह से कराएं।


गर्भाशय के कैंसर को यूटेराइन सर्विक्स कैंसर कहा जाता है। यूटरस से खून आना इसका मुख्य लक्षण होता है। इसके लिए दो साल में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट करवाना चाहिए ताकि समय रहते इसका इलाज कराया जाए।


कैंसर अक्सर बढ़ती उम्र, मोटापा, फैमिली हिस्ट्री, पल्यूशन और गलत लाइफस्टाइल के कारण होता है। नियमित व्यायाम, उचित लाइफ स्टाइल, संतुलित आहार को अपने जीवन का प्रमुख अंग बनाना हमारी जिम्मेवारी है।


इसके अलावा दिल की बीमारी, थायराइड की समस्या भी इसी उम्र के बाद शुरू होती है।