अमेरिका के कुछ सांसद यूक्रेन को मदद में कटौती करने, ताइवान को सहायता बढ़ाने के पक्ष में

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वा‍शिंगटन, अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत से रिपब्लिकन पार्टी के सांसद माइक कॉलिंस चीन को अमेरिका के लिए रूस से बड़े खतरे के रूप में देखते हैं। यही कारण है कि ‍उन्होंने यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराने के खिलाफ मतदान किया है। इसकी जगह वह ताइवान को सैन्य रूप से ज्यादा ताकतवर बनाने की पैरवी कर रहे हैं।

ताइवान एक स्वशासित द्वीप है, जो चीन के सैन्य आक्रमण के खतरे का सामना कर रहा है।

कॉलिंस और अन्य रिपब्लिकन सांसदों की नजरों में ताइवान और यूक्रेन अमेरिका के पास उपलब्ध सीमित सैन्य सहायता पाने के बराबर के हकदार नहीं हैं। हालांकि, ताइवान और उसके ज्यादातर समर्थक इससे जुदा राय रखते हैं। वे ताइवान के भाग्य को यूक्रेन की किस्मत से करीब से जुड़ा हुआ देखते हैं, क्योंकि यूक्रेन भी लंबे समय से रूसी आक्रमण से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है।

उनका कहना है कि चीन यह जानने के लिए पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है कि क्या अमेरिका के पास एक लंबे और महंगे युद्ध में अपने किसी सहयोगी का समर्थन जारी रखने की सियासी क्षमता है। यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता के मद्देनजर हथियार निर्माताओं ने भी उत्पादन बढ़ दिया है, जो चीन के साथ संभावित संघर्ष में ताइवान की मदद कर सकता है।

मैक्केन इंस्टीट्यूट द्वारा इस साल मई में आयोजित सेडोना फोरम में अमेरिका में ताइवान के राजनयिक हसियाओ बी-खिम ने कहा था, “यूक्रेन का अस्तित्व ताइवान का अस्तित्व है। यूक्रेन की सफलता ताइवान की सफलता है।”

बावजूद इसके, ताइवान यूक्रेन को अमेरिका से लगातार मिल रही मदद को लेकर जारी बहस में कूदने से बचता आया है। अमेरिका में शुरुआत में इस मुद्दे को मजबूत द्विदलीय समर्थन हासिल था, लेकिन अब यह गहरे राजनीतिक मतभेद का कारण बन गया है।

अमेरिका में एक अक्टूबर को सरकारी कामकाज ठप पड़ने (शटडाउन) का खतरा टालने के लिए स्वीकार की गई अस्थाई खर्च योजना से यूक्रेन को दी जाने वाली मदद को हटाने के बारे में पूछे जाने पर ताइवान के राजनयिक कार्यालय ने सूझबूझ भरा जवाब दिया।

ताइपे आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रतिनिधि कार्यालय ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को ईमेल के जरिये भेजे गए बयान में कहा, “ताइवान अमेरिका से मजबूत द्विदलीय समर्थन पाने के लिए उसका आभारी है। हम ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे।”

लेकिन जर्मन मार्शल फंड में हिंद-प्रशांत कार्यक्रम की प्रबंध निदेशक बोनी ग्लेसर ने कहा कि खर्च योजना में सैन्य सहायता को शामिल करने से कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के इनकार ने ताइवान के लि‍ए ‘खतरे की घंटी’ बजा दी है।

ग्लेसर ने कहा कि ताइवान सरकार ने “तर्क दिया है कि यूक्रेन की जीत ताइवान के अस्तित्व के लिए जरूरी है।” उन्होंने कहा, “ये चिंताएं तब भी बरकरार हैं, जब यूक्रेन को अमेरिकी सहायता बंद करने के पक्षधर रिपब्लिकन पार्टी के ज्यादातर सांसद अभी भी ताइवान के समर्थन में हैं और उसकी रक्षा के लिए ज्यादा कदम उठाने को तैयार हैं‍।”

अमेरिका-चीन के तल्ख रिश्तों में ताइवान सबसे जटिल मुद्दा है। बीजिंग इस स्वशासित द्वीप पर अपना दावा जताता है, जो मुख्य भूमि चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग 100 मील (160 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है। उसने ताइवान को मुख्य भूमि में शामिल करने के लिए आवश्यक होने पर बल प्रयोग करने का भी संकल्प लिया है।

वहीं, अमेरिका एक शांतिपूर्ण समाधान का इच्छुक है। उसने ताइवान के साथ एक सुरक्षा समझौता कर रखा है, जिसके तहत बीजिंग द्वारा द्वीप पर जबरन कब्जा करने की किसी भी कोशिश से निपटने के लिए उसे सैन्य हार्डवेयर और प्रौद्योगिकियों की आपूर्ति की जाती है।