दीघा में देखिए कुछ नया सा

भारत के तीन तरफ समुद्र है, अतः सागर तटों की यहां कमी नहीं है। जब भी समय होता है तो दिल करता है, किसी नई जगह चलें। कोई ऐसी सुंदर और आकर्षक जगह जहां देखने, ठहरने से ले कर हर अनुभव कुछ नया सा हो। तो इसी नए की तलाश मंे हमें पश्चिम बंगाल के एक समुद्री इलाके मंे पहुंचा दिया जिसे दीघा नाम से जाना कहा जाता है। दीघा कोलकाता से 194 किलोमीटर दूर है। यह अब पश्चिम बंगाल के सबसे लोकप्रिय समुद्री तटों में से एक हो गया है। पहले इसे बीरकुल नाम से जाना जाता था। इस पर्यटन स्थल की खोज 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने की। अपनी पत्नी को लिखे एक पत्रा में वारेन हेस्टिंग ने इसे ‘पूरब का ब्रिटेन‘ खिताब दिया था।


दीघा के समुद्री तट को दुनिया के सबसे चैड़े समुद्री तटांे में से एक माना जाता है। इसकी खासियत है शांत और धीमी लहरें। लहरों की ऊंचाई ज्यादा नहीं होती, न ही उनमें ज्यादा वेग होता है। इसलिए यहां वे लोग भी निडर हो कर समुद्री स्नान का आनंद लेते हैं जो लहरों से डरते हैं।


दो दीघा:  दीघा दो भागों में बंटा है। पुराने इलाके को ‘ओल्ड दीघा‘ नाम से जाना जाता है। यहां परंपरागत होटल और बाजार हैं। मुख्य बस स्टैंड भी यहां है। शाम को यहां बड़ा शानदार बाजार लगता है और खूब रौनक रहती है। मुख्य रोड से करीब आधा किलोमीटर अंदर जाने पर समुद्री तट मिलेगा। तट बड़ा सुंदर और विशाल है। समुद्र के खारे पानी के कारण असंख्य छेदों के साथ किनारों पर पड़े बड़े-बड़े पत्थरों पर बैठ कर समुद्र को निहारने का अलग ही मजा है।


पर यहां पर तट अब खतरनाक घोषित कर दिया गया है और पुराने दीघा के समुद्र तट को स्नान के लिए बंद कर दिया गया है। यहां से आप केवल समुद्र को निहार सकते हैं। किनारे पर खाने-पीने की एक से बढ़ कर एक दुकानें हैं जहां शाकाहारी खाना तो कम मिलेगा पर सी फूड के दीवानों के लिए यहां बहुत कुछ है।


इससे करीब डेढ़-दो किलोमीटर दूर न्यू दीघा बसा है। यहां के समुद्री तट को संवार कर पर्यटकांे के लिए खोला गया है। इस कारण यहां आवाजाही बढ़ गई है। न्यू दीघा में एक से बढ़ कर एक होटल हैं जहां हर रेंज के कमरे उपलब्ध हैं। जिन्हें होटल का खाना पसंद न हो, वे यहां हर गली-नुक्कड़ पर बने छोटे-मोटे होटल के मालिक को अपना खरीदा हुआ खाने का सामान दे देते हैं और वे उनके सामने मामूली कीमत पर खाना पका देते हैं।


क्या देखंे:  दीघा का समुद्री तट यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। नहाने से ले कर खाने-पीने का सारा सामान यहां उपलब्ध है। बच्चे घूमना चाहंे, तो कद्दावर घोड़े, उन्हंे बीच की सैर कराते हैं। आप समुद्र की सैर करना चाहें, तो बोट उपलब्ध हैं। आपको करीब आधे घंटे की सैर करा कर बोट वापस किनारे पर छोड़ जाएगी।


इसके अलावा यहां का साइंस संेटर भी देखने लायक है, जहां विज्ञान से जुड़ी बातंे आपको रोमांचित कर देती हैं। यहां बने पार्क में भी विज्ञान से जुड़े खेल हैं जिन्हें बच्चे बड़े मजे से खेलते हैं। इसी पार्क का एक हिस्सा ‘जुरासिक पार्क‘ नाम से विकसित है। यहां जा कर आप डायनासोर युग मंे पहुंच जाते हैं। यहां एशिया का सबसे बड़ा मैरीन एक्वेरियम है पर चूंकि यह नया-नया बना है, अतः यहां प्रदर्शित चीजों की संख्या कम है।


दीघा की खास बात यह है कि यहां की सबसे ज्यादा देखने लायक जगहें करीब 12-14 किलोमीटर की रेंज के अंदर है। आप चाहें तो एक दिन में भी इन्हें देख सकते हैं। लोकल साइट सीइंग के लिए लोकल बसें, टैक्सियां, थ्री व्हीलर के अलावा ठेला स्टाइल के रिक्शे भी मिलते हैं। इन रिक्शों में पांच-छह लोग एक साथ घूम सकते हैं। दीघा के मंदिर बहुत अच्छे हंै। करीब 8 किलोमीटर दूर चंदनेश्वर मंदिर की बड़ी महिमा है। यहां से 14 किलोमीटर दूरी पर स्थित है लंकेश्वरी मंदिर। थोड़ी और दूर जाना चाहें तो 45 किलोमीटर दूर कपालकुंडला मंदिर है।


दीघा से थोड़ी दूरी पर एक और समुद्र तट है, जो बहुत खुला और भव्य है। इस कारण बांग्ला फिल्मों की यहां खूब शूटिंग होती है। स्थानीय लोग इसे ‘उदयपुर‘ कह कर पुकारते हैं। यहां काजू के पेड़ बहुतायत में हैं जो इसे प्यारे से छोटे-मोटे जंगल का रूप दे देते हैं। इसके अलावा तट पर ताड़ के पेड़ों की लंबी श्रृंखला है जो इसे भव्यता प्रदान करती है। यहां पर्यटकों को रेतीले तट पर मोटरसाइकिल की सवारी का आनंद दिलाने वाले भी मिल जाएंगे। रेत के छोटे टीले भी यहां के आकर्षण हैं।


अगर आप मछलियों को देखना चाहते हैं तो यहां एक जगह है मोहाना। यहां समुद्री मछलियों का बाजार है। बड़े-बड़े जहाज यहां मछलियां लाते हैं, जिन्हें मछली व्यापारी खरीद ले जाते हैं। यहां बड़ी-बड़ी मछलियों के अलावा छोटी से छोटी सैकड़ों किस्म की मछलियां भी आपको देखने को मिलेंगी।


क्या खरीदें:  दीघा के काजू बड़े अच्छे और ताजे होते हैं। इसके अलावा सीप का सामान खूब मिलता है। सीप से बने गहने बहुत प्रसिद्ध हैं तो इनसे बनी भगवान की मूर्तियां आपको लुभा लेंगी। जूट से बने वाॅल हैंगिंग और अन्य सामान भी पर्यटक बहुत पसंद करते हैं। और हां, यहां का नारियल पानी पीना न भूलिएगा। इतनी कम कीमत मंे इतना बढ़िया नारियल पानी शायद पूरे भारत में नहीं मिलेगा।


कैसे जाएं:  कोलकाता से दीघा के लिए सुबह-सुबह हर पंद्रह-बीस मिनट मंे एक बस चलती है। ये बसें चार से पांच घंटे में दीघा पहुंचा देती हैं। ये बसें शहीद मीनार से पकड़ी जा सकती हैं। हावड़ा से रोजाना दो ट्रेनें दीघा के लिए चलती हैं। हावड़ा पूरे भारत से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। कोलकाता का नेताजी सुभाषचंद्र बोस हवाई अड्डा सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जहां उतर कर ट्रेन या रोड यातायात से आप दीघा पहुंच सकते हैं।