विशेषज्ञों के अनुसार बचपन में अधिक सूर्य की धूप में रहने से त्वचा कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं, उम्र से पहले ही त्वचा पर असमय झुर्रियां और अन्य प्रभाव भी स्पष्ट नजर आते हैं इसलिए प्रारंभ से ही शिशु की त्वचा को सूर्य की अल्ट्रावायलट ए व अल्ट्रावायलट बी किरणों से बचाना बहुत आवश्यक है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अल्ट्रावायलट ए किरणें रोग प्रतिरोधी तंत्रा को भी कमजोर करती हैं इसलिए इन किरणों से बचाव के लिए सनस्क्रीन का प्रयोग बहुत जरूरी है लेकिन सनस्क्रीन भी इन किरणों से सम्पूर्ण सुरक्षा नहीं देती, इसलिए इसके प्रयोग के साथ-साथ छाते का प्रयोग करें। सूर्य की घातक किरणों से बचाव के लिए बच्चों के खेलने का समय 4 बजे के बाद रखें जब इन किरणों का प्रभाव कम हो। शरीर के अन्य अंगों को भी ढक कर रखें व पूरी बांह के सूती वस्त्रा पहनें। धूप से बाहर जाते समय सन ग्लासिस का भी प्रयोग करें क्योंकि ये किरणें आंखों को भी नुकसान पहुंचाती हैं।