कोई ढाबा हो या पांच सितारा होटल, गरीबों की झोपड़ी हो, किसी सन्यासी का आश्रम हो या राष्ट्रपति का राष्ट्रपति भवन, आलू को सब शौक से खाते हैं। मजबूरी में नहीं। अचानक मेहमान आ जाने पर, घर में कोई भी सब्जी न होने पर, गृहिणी का साथ निभाता है आलू। घर की लाज रख लेता है आलू। यह सब्जी तो है ही, पूरा भोजन भी है आलू।
आलू को छीलकर न पकाएं। सदा उबाल कर, छीलकर बनाना चाहिए अथवा छिलकों के साथ ही। आलू के गुणों का पूरा लाभ उठाने के लिए इसे उबालें। आलू के छिलके की तह के साथ मनसिल होता है। यदि इसे छील देंगे तो यह निकल जाएगा। छीलने से पूर्व उबालेंगे तो सारा मनसिल आलू में समा कर इसे अधिक पौष्टिïक व सुपाच्य बना देगा।
आलू में विटामिन, खनिज पदार्थ, लवण तथा धातु रहने के कारण यह अधिक बलवर्धक, उपयोगी होता है। आलू में विटामिन सी, लोहा, कार्बाहाइड्रेट तथा मैगनीज होने से यह हमारे शरीर को बल, स्फूर्ति प्रदान करता है।
आलू में पानी तथा कैलोरीज काफी होती है। इसे सदा किसी अनाज के साथ खाना चाहिए। अत: आलू अकेला न खाएं।
जो व्यक्ति कम मेहनत करते हों, उन्हें आलू की मात्रा कम खानी चाहिए। जो बच्चे, युवक सदा क्रियाशील रहते हों या जो मेहनतकश हों। उनके लिए आलू उपयोगी है।
यह मल को बांधता है। घी में पकाने से कब्ज करता है।
जले पर पुल्टिस बांधने से फफोले नहीं होते। शांति मिलती है।
इस का साफ रस आंखों में डालने से फूली जाला को आराम आता है।
कमर दर्द होने पर, आलू की पुल्टिस दर्द दूर करता है।
मसूड़ें, दांत खराब हों, कमजोर हों, आलू का सेवन इन्हें शक्ति देता है।
पित्त को शांत करने के लिए, राख में आलू भून लें। इसे छील कर थोड़े देसी घी में पका कर, मैथी, काली मिर्च, नमक से खाएं।
मधुमेह का रोगी यदि आलू खाए तो उसे अदरक व अजवायन अवश्य खानी चाहिए। मोटा व्यक्ति आलू खाकर और मोटा हो जाएगा। दुबले व्यक्ति आलू जरूर खाए। शरीर पर कुछ मांस नजर आएगा।
आलू छाती में जलन व पेट में अफारा करता है। अदरक इसमें मदद करता है। अजवायन, अदरक तो सब को थोड़ी बहुत खानी चाहिए। गृहिणी के लिए रसोई में आलू बहुत बड़ा सहारा होता है।