मानवता और पर्यावरण के साथ लगातार किए जा रहे खिलवाड़ के दौर में यदि मानव इस महत्त्व को नहीं समझ पाया तो महाविनाश निश्चित समझें। मानव समाज इस समय एक ऐसे चौराहे पर खड़ा है जहां से उसे तय करना है कि धार्मिक कट्टरता, साम्यवादी जनून और पूंजीपतियों के शोषण के मार्ग पर ही चलते रहना है या फिर ऐसा मार्ग तलाश करना है, जो मानव जीवन और पर्यावरण को स्वस्थ, सुंदर और खुशहाल बनाएं।
जो लोग यह सोचते हैं कि हम दूसरे का अस्तित्व मिटा कर ही सुखी रह सकते हैं या अपनी सत्ता कायम कर सकते हैं, वे जरा इतिहास में झांककर देखें। हिंसक समाज अपना अस्तित्व स्वयं खो बैठता है। जब एक नहीं रहेगा तो दूसरा भी नहीं रहेगा। सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं। धरती पर वृक्ष नहीं रहेंगे तो बाकी और किसी के बचने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज हालात यह है कि मानव हर तरह से पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाकर यह समझता है कि वह बच जाएगा तो यह उसकी भूल है।
छोटी-मोटी बीमारियों की एक प्रमुख वजह है हर तरफ फैली गंदगी, बढ़ता हुआ प्रदूषण, दूषित पेयजल और घटित स्तर की खाद्य सामग्री की खुलेआम बिक्री। सार्वजनिक स्थलों में साफ-सफाई की पर्याप्त व्यवस्था का न होना भी दुर्भाग्य ही कहा जायेगा। पर्यावरण और प्रकृति के साथ खिलवाड़ समझदारी नहीं है। दिन और रात की क्रियाओं का प्रकृति के साथ सीधा संबंध है लेकिन आजकल इन संबंधों में कटुता पैदा हो रही है। बड़े-बुजुर्ग ही यदि जीवन शैली में आए बदलावों से बेफिक्र हो जाएं तो उसका खामियाजा नई पीढ़ी को तो भुगतना ही होगा।
कई फैक्टरियों की चिमनियां जहरीला धुआं फेंकती रहती हैं जिससे पर्यावरण का मजाक भी उड़ता रहता है। चिमणियों से निकलने वाला जहरीला धुआं एवं प्रदूषित जल नदियों एवं नालों में बहा दिया जाता है जिस कारण नदी एवं नालों के आजू बाजू के क्षेत्रा भी प्रदूषित होते जा रहे हैं।
पर्यावरण के साथ हो रहा यह खिलवाड़ करोड़ों लोगों के लिये खतरे की घंटी है। तेजी के विकास के नाम पर कई विदेशी कंपनियों को भारत में आने की छूट दे रखी है। यहां बेरोजगारी के नाम का डंका बजाकर विदेशी कंपनियों को खुली छूट देकर धड़ल्ले से वनों की कटाई कर अपने कल-कारखाने खोल रहे हैं।
‘भाड़ में जाए जनता, अपना काम बनता’ कहावत को चरितार्थ कर विदेशी कंपनियां यहां से धन कमा कर अपने देश में ले जाकर जमा कर रही हैं और आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर पर्यावरण को खतरा उत्पन्न कर रही हैं जिसका खामियाजा आने वाले दिनों में भारत वासियों को ही भुगतना होगा।