नयी दिल्ली, क्या 2024 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों के लिए 2014 जैसा ही परिणाम लेकर आएगा? या क्या इस चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से हटाने में कामयाब हो जाएगा? आगामी किताब ‘मोदी एंड इंडिया: 2024 एंड द बैटल फॉर भारत’ में इन प्रश्नों का उत्तर देने की कोशिश की गई है।
पत्रकार एवं लेखक राहुल शिवशंकर और सिद्धार्थ ताल्या द्वारा लिखित और ‘पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया’ (पीआरएचआई) द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का छह नवंबर को विमोचन होना है।
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में स्पष्ट बहुमत से जीत हासिल की थी। इसके बाद भाजपा ने 2019 में अपनी सीट की संख्या में बढ़ोतरी करते हुए संसद में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली तथा परिवर्तनकारी कानून एवं नीतियां लाने की अपनी क्षमता बढ़ाई।
लेखकों के अनुसार, मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की अधिकतर पहल का उद्देश्य भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाना है, जो नैतिक रूप से सही, धर्म के नेतृत्व वाला बहुलवादी लोकतंत्र का एक उदाहरण हो।
उन्होंने कहा कि भारत के हिंदू लोकाचार के प्रति इस झुकाव के चलते विपक्ष ने एक ऐसे ‘हिंदू राष्ट्र’ के उदय का भय प्रकट किया है- जो एक कट्टर ‘‘अति-राष्ट्रवादी और बहुसंख्यकवादी सिद्धांत’’ पर आधारित होगा।
इस परिदृश्य में, क्या मोदी 2024 में तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में वापसी कर पाएंगे और सभ्यतागत भारत के उदय का मार्ग प्रशस्त हो पाएगा? पुस्तक अपने विश्लेषण में यही पता लगाने का दावा करती है।
शिवशंकर ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारी पुस्तक आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक गहन शोध के बाद उत्तर देती है। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न हैं- क्या मोदी के हिंदू भारत के पुनर्निर्माण के बारे में ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) की आशंकाएं गलत हैं? और क्या मोदी का ‘भारत’ का वैकल्पिक विचार संवैधानिक रूप से सही है?’’