सौंदर्य व त्वचा रंग निखारता है नींबू

नींबू संतरा वर्गीय एक बारहमासी फल है। यह टारटरिक एसिड से भरपूर खट्टा रसीला फल है जो विटामिन सी से भरपूर है एवं उपयोग करने वाले की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह खट्टा या खट्टा-मीठा अचार बनाने के काम में लाया जा सकता है। इसका अचार भोजन को रूचिकर व पाचक बनाता है। नींबू फल का रस भोजन का स्वाद बढ़ाता है। यह शर्बत व शिकंजी बनाकर पेय के रूप में उपयोग किया जाता है।


नींबू की कुछ बूंदें नमक डले पानी में मिला कर स्नान करने से त्वचा निरोगी होती है उसमें चमक व निखार आती है। नींबू के सेवन से सौंदर्य बढ़ता है। इसके छिलकों को उबटन व मुंहासे की दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। नींबू के सूखे छिलके को चाय में डालने पर चाय स्वादिष्ट बनती है जो सुगंधित होती है। इसका नरम व गीला छिलका कोहनी के कालेपन एवं मुंहासे को दूर करता है।


नींबू पानी पीने से मोटापा कम होता है शरीर सुडौल व कमनीय हो जाता है किंतु उसके अचार का अधिक सेवन बी.पी बढ़ा सकता है। इसे हाई बी.पी व हृदय रोग वाले न खाएं किंतु नींबू पानी बी.पी व हृदय रोग की दवा भी है, अतएव मोटापा दूर करने, बी.पी दुरूस्त करने, हृदय स्वस्थ रखने एवं त्वचा में निखार व सुंदरता लाने के लिए सादा नींबू पानी जरूर पिएं। यह सर्दी जुकाम भी दूर करेगा और रोगों को भी दूर भगायेगा।


घर जितना ऊंचा, उम्र उतनी कम
अमेरिकी वैज्ञानिक आंइस्टीन ने टावरों की ऊंचाई से उम्र का संबंध खोज निकाला है। उनका मत है कि भूतल में रहने वाले धीरे-धीरे बूढ़े होते हैं और अधिक उम्र तक जीते हैं जबकि इनके मुकाबले अधिक ऊंचाई अथवा टावर के शिखर पर रहने वालों की बूढ़े होने की गति कुछ तेज होती है। साथ ही वह भूतल में रहने वालों की तुलना में कम दिनों तक जीते हैं।


वैज्ञानिक आइंस्टीन का मत है कि घड़ी की गति भूतल की बजाय टावर शिखर पर बढ़ जाती है , यह गुरूत्वाकर्षण बल के बढ़ने के कारण होता है। ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ यह बल बढ़ता जाता है। ऐसा ही प्रभाव मानव शरीर पर पड़ता है।
रक्तप्रवाह संतुलित रखता है अदरक


अदरक एक जड़ीय औषधि है। यह कच्चे रूप में अदरक एवं सूखने पर सोंठ कहलाता है। यह अन्य रोगों में दवा की भांति सटीक काम करता है। यह सर्दी, खांसी, जुकाम व बुखार की दवा है। यह सब्जी में, सलाद में, अचार में, चटनी में, चाय में, शरबत में, काढे़ में उपयोग किया जाता है। यह पेट के रोगों में कारगर दवा है। यह अपच, गैस, कब्ज दूर करता है। भोजन से पहले उसे खाने से भूख अच्छी लगती है। इसे चूसने से जमा कफ निकल जाता है। सर्दी-खांसी ठीक हो जाती है। इसे खाने से हिचकी बंद हो जाती है। यह रक्तशोधक है व रक्त संचार को सही रखता है। यह एंटीबायोटिक है। यह रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। इसे खाकर व्यक्ति बेहतर महसूस करता है।


पीठ दर्द से पस्त
आजकल पीठ दर्द की परेशानी हर जगह बढ़ रही है। बाइक चालक बढ़े हैं और उनके पीठ दर्द की परेशानी बढ़ी हैं। बच्चे बस्ते के बोझ के कारण पीठ दर्द से परेशान हैं। प्रौढ़ महिलाओं को अपनी आयु के चलते पीठ दर्द की परेशानी है जबकि नेट व कम्प्यूटर उपयोगकर्ता एवं सिटिंग जाब वाले अपने शौक व काम से पीठ दर्द से बेहाल हैं।
स्थिति आजकल यह है कि अपने बीच का हर पांचवां व्यक्ति पीठ दर्द की परेशानी से पस्त है। श्रम के अभाव एवं व्यायाम न करने से भी इस सामान्य सी परेशानी का विस्तार हो रहा है। लोग दर्द को दवा से दूर करना चाहते हैं लेकिन व्यायाम नहीं करना चाहते।
मोटे हो रहे हैं ऑफिस पसंद लोग


बॉस पसंद न हो तो लोग नौकरी छोड़ने एवं बदलने लगते हैं जबकि कुछ लोग जल्दी हर परिस्थिति में खप जाते हैं और वहां के वातावरण एवं काम में रम जाते हैं। कुछ को ऑफिस के काम व हवा से सुकून मिलता है और धीरे-धीरे ये वहां के दीवाने हो जाते हैं। आजकल के ऑफिस में या आसपास कुछ ऐसा खाने को मिलता है जो इनका पसंदीदा होता है। यही काम का आराम और ऐसे ब्रेकफास्ट के कारण पसंदीदा ऑफिस जाब वाले अब धीरे-धीरे अपना वजन, मोटापा और बीमारी बढ़ा रहे हैं। इसी के चलते अपने यहां ऐसे ऑफिस और सिटिंग जाब वालों का मोटापा बढ़ रहा है जो आगे चिंताजनक हो सकता है।
शहरों में हार्ट अटैक और टी.बी का खौफ


जो जीव इस पृथ्वी में जन्मा है, उसकी एक न एक दिन मौत तो निश्चित है किंतु अपनी पूर्ण आयु जीना एक उपलब्धि है और निर्धारित आयु से कम जीना अर्थात असामयिक मौत दुःखद है। यह गांव से लेकर शहर तक हर वर्ग के लोगों में होता है। सब जगह मौत के अपने-अपने कारण होते हैं।


शहरों में हार्ट अटैक के कारण सबसे ज्यादा लोगों की अकाल मृत्यु होती है। एक तिहाई शहर वाले उसकी चपेट में आकर मरते हैं जबकि शहर के एक चौथाई लोग टी.बी. की बीमारी के कारण जल्द मर जाते हैं। शहर के लोगों की अल्पायु मौत के लिए तीसरा जिम्मेदार कैंसर है।