अशुद्ध पानी ही बीमारियों की जननी है

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि हर वर्ष पानी की अशुद्धता के वजह से 40 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है जबकि करोड़ों लोग पानी जनित बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं, ज्यादा रोग पानी की अशुद्धता से ही होते हैं। हमें मालूम होना चाहिये कि धरती पर लगभग सत्तर प्रतिशत पानी है लेकिन यदि पीने के पानी की बात की जाए तो पूरे विश्व के पास एक प्रतिशत से कम पीने योग्य पानी है जिसका एक सटीक उदाहरण यह है कि विश्व की लगभग एक तिहाई आबादी शुद्ध पानी पीने से वंचित है। जो पानी मिल भी रहा है उसमें भी शुद्धता की गारंटी नहीं है लेकिन लोग हैं कि मानते नहीं, आज हम देख सकते हैं कि जिनके यहां पानी की व्यवस्था है वे लोग पानी का दुरूपयोग करने में जरा भी संकोच नहीं कर रहे हैं, जरा भी नहीं सोचते कि उनके द्वारा पानी का दुरूपयोग घातक साबित होगा आगे आने वाली पीढि़यों के लिये?

 हमारे पास पानी के दो तरह के साधन हैं – एक भूजल और दूसरा नदी, तालाब, झील इत्यादि का पानी। भूजल को हम ज्यादातर पीने में प्रयोग करते हैं जो कहीं न कहीं कीटनाशकों से दूषित है। घरों में आने वाले पानी की शुद्धता तथा कीटनाशकों की मौजूदगी को लेकर कोई मानक निश्चित नहीं है, हम उसे शुद्ध मान कर प्रयोग करते हैं, जबकि बोतलबंद पानी के लिये मानक निर्धारित किये गये हैं।

विश्व में बीमारियों का प्रमुख कारण अशुद्ध पेयजल है, जिसके प्रमुख शिकार बच्चे होते हैं। एक आंकडे़ के हिसाब से हर आठ सेकेंड में विश्व का एक बच्चा पानी की बीमारियों की चपेट में आकर दुनियां छोड़ देता है। हमारे द्वारा खेतों में प्रयोग किये जा रहे कीटनाशकों से पानी और अशुद्ध हो रहा है। पानी को स्वच्छ रखने के लिये क्लोरीन का प्रयोग, फिल्टर कैंडल, पानी को उबालकर प्रयोग करना तथा आरओ सिस्टम के प्रयोग से पानी की अशुद्धता से बचा जा सकता है लेकिन इन चीजों के साथ साथ बाहरी साफ सफाई बेहद जरूरी है।

पानी का और स्वास्थ्य का संबंध एक दूसरे जुड़ा है, हमारे जीवन में कई बीमारियां केवल पानी की अशुद्धता से होती हैं, गंदे पानी के माध्यम से हमारे शरीर में अनगिनत छोटे छोटे जीवाणु जाते हैं जो तरह तरह की बीमारियों को जन्म देते हैं। गंदे पानी में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने से हैजा, पेचिश, टाइफाइड जैसे रोग हो सकते हैं तथा गंदा पानी पीने से वायरल इन्फेक्शन की संभावना अधिक हो जाती है जिससे कालरा, पीलिया, हेपेटाइटिस ए आदि रोग होते हैं।

उल्टी भी गंदे या इन्फेक्शन हुये पानी से हो सकती है। काफी समय तक अशुद्ध पानी का प्रयोग करना हमारे शरीर में अस्थमा, सांस की बीमारी और वजन में कमी, त्वचा संबंधी, एलर्जी या दाग धब्बे की बीमारी हो सकती है। इसके अलावा कुछ संक्रमित बीमारियां साथ रहने, खाने, हाथ मिलाने, कपड़ा बिस्तर प्रयोग करने से होती हैं, इन सभी चीजों में सावधानी व शुद्धता बहुत ही जरूरी है।

पानी की शुद्धता के साथ साथ पानी के रसायन पर भी हमें ध्यान देना चाहिये क्योंकि पानी कई रसायनों से मिलकर बना होता है जिसका दुष्प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर धीरे धीरे पड़ता है, इसमें पाये जाने वाले पेस्टीसाइड की अधिकता से नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है, भूमिगत जल में लेड की मात्रा पाई जाती है जो बच्चों और महिलाओं के लिये नुकसानदायक होता है, इसी तरह पानी में नाइट्रेट्स की मात्रा भी बच्चों के लिये हानिकारक होती है।

हमारा शरीर दिन भर श्रम करके जिन्दगी की बड़ी जिम्मेदारी निभाता है और इसमें पूरा सहयोग करता है पानी, क्योंकि हम जितना अधिक श्रम करते हैं उतना अधिक हमें पानी भी पीना चाहिये, यदि हम पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं तो शरीर का मेटाबालिज्म भी सही काम करता है, जो हमें स्वस्थ रहने में सहायक होता है। पानी की पर्याप्त मात्रा हमारे शरीर से जहरीले तत्वों को निकालकर शरीर को रोगमुक्त बनाने में सहायक होती है, शरीर में फुर्ती व ऊर्जा बनी रहती है, शरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है, शरीर में चर्बी नहीं जमती और वजन संबंधी समस्या से छुटकारा रहता है। पानी पीने से एलर्जी, संक्रमण, अस्थमा, आंत और पथरी तथा सर्दी जुकाम से बचाव होता है।

पानी से होने वाले रोगों से हम अपनी सावधानी, साफ सफाई से काफी हद तक सही कर सकते हैं लेकिन पानी का दुरूपयोग करने वालों से निवेदन है कि पानी को बचा कर रखिये क्योंकि इसी पानी में आपकी आने वाली पीढि़यों का भी हक है, चाहे आप उनके लिये पानी बचाकर रखंे या उन्हें प्यासे रहने के लिये पानी का दोहन करें? आइये हम सब मिलकर पानी की एक बूंद बूंद बचाकर मानव जाति को पानी की भयावहता से बचाने का छोटा सा प्रयास करें।