बेंगलुरू, भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंध शायद खेल के लंबे इतिहास में सबसे विचित्र हैं। यह दो धारी तलवार की तरह है। एक तरफ तो यह एकता की ताकत है तो दूसरी ओर क्रिकेट से प्यार करने वाले दोनों देशों को एक दूसरे के खिलाफ हार नागवार है।
इसकी झलक 50 ओवर के विश्व कप में साफ तौर पर दिखती है जहां भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अब तक सभी सात मुकाबले जीते हैं।
क्रिकेट के सबसे भव्य मंच पर जहां भारत और पाकिस्तान के क्रिकेटर की नहीं बल्कि प्रशंसक भी एक-दूसरे से आगे निकलने का प्रयास करते हैं वहां आंकड़ों के समान लम्हें भी समान महत्व रखते हैं।
दोनों पड़ोसी देशों के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता 1952 में शुरू हुई जब अब्दुल कारदार के नेतृत्व में पाकिस्तान ने पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला के लिए भारतीय धरती पर कदम रखा लेकिन अधिक चर्चित विश्व कप की जंग 1992 में शुरू हुई।
भारत प्रतिष्ठित सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में पाकिस्तान से विश्व कप में पहली बार भिड़ा और 43 रन से विजेता बना। बेहद प्रतिभाशाली 19 वर्षीय सचिन तेंदुलकर ने 62 गेंदों में 54 रन बनाए। यह उनकी उन पारियों की शुरुआत थी जिसने भविष्य में भी पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाया।
भारत ने सात विकेट पर 216 रन बनाए और फिर विपक्षी टीम को 48.1 ओवर में 173 रन पर ढेर कर दिया जिसमें कपिल देव, जवागल श्रीनाथ और मनोज प्रभाकर ने दो-दो विकेट चटकाए।
इस दौरान हालांकि मैच का वह लम्हा किवदंती बन गया जब जावेद मियांदाद भारतीय विकेटकीपर किरण मोरे की नकल करते हुए कूदते हुए नजर आए।
चार साल बाद पाकिस्तान ने चोटिल वसीम अकरम की अनुपस्थिति में बेंगलुरू में क्वार्टर फाइनल में बैकफुट पर शुरुआत की।
नवजोत सिंह सिद्धू की 93 रन की पारी के बाद वकार यूनिस के खिलाफ अजय जडेजा के आक्रामक तेवरों से भारत ने आठ विकेट पर 287 रन बनाए।
तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने पाकिस्तान की पारी के दौरान एक ऐसा क्षण बनाया जो अब विश्व कप हॉल ऑफ फेम में प्रमुख स्थान रखता है।
आमिर सोहेल ने कवर पर एक चौका लगाया और पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज ने प्रसाद को इशारा किया कि वह इसी तरह और शॉट मारेंगे।
लेकिन प्रसाद ने अगली ही गेंद पर सोहेल का विकेट उखाड़ दिया और फिर पाकिस्तान कभी लक्ष्य के करीब पहुंचने की स्थिति में नहीं दिखा और अंतत: नौ विकेट पर 248 रन पर ही बना सका।
काफी बाद में प्रसाद से सवाल पूछा गया कि बेंगलुरु की उस शाम को उन्होंने सोहेल से क्या कहा था। उन्होंने चुटीला जवाब देने से पहले हंसी में कहा: ‘‘आप इसे छाप नहीं सकते।’’
विश्व कप 1999 में मैनचेस्टर में जब दोनों देशों का आमना-सामना हुआ तो एक अलग तरह की भावना थी। यह मुकाबला करगिल युद्ध की छाया में हो रहा था।
भारतीय और पाकिस्तानी प्रशंसक जीत के अलावा किसी और चीज से संतुष्ट नहीं होने वाले थे। दोनों देश के खिलाड़ी उग्र राष्ट्रवादी भावना में नहीं बहे और क्रिकेट का एक अप्रत्याशित मुकाबला खेला।
राहुल द्रविड़ और मोहम्मद अजहरुद्दीन के अर्धशतकों के बाद भारत ने छह विकेट पर 227 रन का छोटा स्कोर खड़ा किया। प्रसाद एक बार फिर भारत के लिए स्टार बनकर उभरे।
कर्नाटक के इस खिलाड़ी ने 27 रन देकर पांच विकेट झटके और पाकिस्तान की पारी 45.3 ओवर में 180 रन पर सिमट गई।
विश्व कप 2003 आते-आते तेंदुलकर की प्रतिभा पूरी तरह निखर गई थी। मुंबई के इस बल्लेबाज ने सेंचुरियन में अकरम, शोएब अख्तर और यूनिस की पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी तिकड़ी के खिलाफ शानदार शॉट खेले। अख्तर के खिलाफ उनका अपर कट अब भी लोगों के जहन में ताजा है जो थर्ड मैन के ऊपर से छह रन के लिए गया था।
तेंदुलकर 32 रन पर आउट हो गए होते लेकिन अब्दुल रज्जाक ने उनका कैच टपका दिया।
अकरम ने इसके बाद रज्जाक से वह प्रसिद्ध सवाल पूछा, ‘‘तुझे पता है किसका कैच छोड़ा है।’’
सईद अनवर ने पाकिस्तान के सात विकेट पर 273 रन में 101 रन की शानदार पारी खेली थी लेकिन तेंदुलकर की 75 गेंद में 98 रन की पारी ने उस पर हावी रही। भारत की छह विकेट की जीत में युवराज सिंह ने भी नाबाद 50 रन बनाये।
दोनों टीम 2007 विश्व में आमने-सामने नहीं आ पाईं और लीग चरण से ही बाहर हो गईं।
भारत 2011 में विश्व कप की सह मेजबानी कर रहा था। मोहाली में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबला था। तेंदुलकर अपने शीर्ष को पार कर चुके थे लेकिन उन्होंने एक बार फिर जानदार पारी खेलकर भारत की जीत की नींव रखी। हालांकि उनकी 85 रन की पारी में वह चिरपरिचित अंदाज नहीं दिखा जिसके लिए वह जाने जाते हैं और इस दौरान उन्हें चार जीवनदान भी मिले।
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज वहाब रियाज के 46 रन पर पांच विकेट के बावजूद भारत ने नौ विकेट पर 260 रन बनाए और फिर पांच भारतीय गेंदबाजों ने दो-दो विकेट लेकर पाकिस्तान को 231 रन पर समेट दिया।
यूनिस खान और असद शफीक को शानदार गेंदों पर आउट करने के लिए युवराज सिंह का विशेष उल्लेख जरूरी है।
इस दशक की शुरुआत तक क्रिकेट के मैदान पर भारत का दबदबा विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों और तेज गेंदबाजों के उदय के साथ नई ऊंचाइयों को छू गया।
विश्व कप 2015 में पाकिस्तान को ‘नए’ भारत का स्वाद चखना पड़ा। कोहली की 107 रन की शानदार पारी और शिखर धवन तथा सुरेश रैना के अर्द्धशतक से टीम इंडिया ने सात विकेट पर 300 रन बनाए।
तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने चार विकेट लिए जिससे पाकिस्तान 224 रन पर ढेर हो गया।
पाकिस्तान को 2019 में रोहित के तूफानी तेवरों का सामना करना पड़ा जिन्होंने 113 गेंद में 140 रन की पारी खेली। कोहली (77) और लोकेश राहुल (57) ने भी अर्धशतक जड़े।
रोहित ने तेज गेंदबाज हसन अली को विशेष रूप से निशाने पर रखा जिनकी वाघा सीमा पर जांघ पर हाथ मारकर जश्न मनाने के लिए तीखी आलोचना हुई थी। भारतीय प्रशंसकों ने भी हसन के खिलाफ रोहित के करारे शॉट का खूब लुत्फ उठाया।
शनिवार को अहमदाबाद में भारत-पाक प्रतिद्वंद्विता के अध्याय में एक नया पन्ना जुड़ेगा। अब देखना यह है कि भारत अपने विजय रथ को आगे बढ़ाते हुए स्कोर 8-0 करता है या फिर पाकिस्तान इस सिलसिले पर विराम लगाने में सफल रहता है।