आजकल साफ पानी प्रायः उपलब्ध नहीं होता, इसलिए अधिकतर लोग पानी उबालते हैं। पानी को उबालने से उसके हानिकारक बैक्टीरिया व वायरस नष्ट हो जाते हैं परन्तु लोग इस बात से वाकिफ नहीं होते कि पानी को कितनी देर तक उबालना चाहिए कि उसके अंदर मौजूद सभी हानिकारक तत्व समाप्त हो जाएं। पानी को पीने योग्य बनाने के लिए कम से 20 मिनट तक उबालना बहुत आवश्यक है।
कहीं आप पोषक तत्वों को फेंक तो नहीं रहे
अधिकतर लोग अपने खान-पान के प्रति विशेष सावधानी बरतते हैं और कोशिश करते हैं कि उन्हें भोजन से सभी आवश्यक पोषक तत्वों की प्राप्ति हो परन्तु गृहणियां अधिकतर पोषक तत्वों को खाना बनाते समय ही नष्ट कर देती हैं। दाल, चावल आदि उबालते वक्त बचा हुआ पानी अधिकतर फेंक दिया जाता है जिस पानी में खाद्य पदार्थों के अनेक पोषक तत्व भी फेंक दिए जाते हैं, इसलिए जिस पानी में भोजन पकाया जाता है उसे फेंकना नहीं चाहिए। उसका प्रयोग सूप आदि के रूप में करना चाहिए। यही नहीं, जब हम सब्जी को काटते हैं तो उन्हें हम पानी में धो लेते हैं जिससे सभी पोषक तत्व भी पानी के साथ बह जाते हैं, इसलिए कभी भी कटी हुई सब्जी को पानी में न धोएं। सब्जी काटने से पूर्व ही धो लें।उच्च रक्तचाप से मस्तिष्क की कार्य क्षमता भी कम होती है
उच्च रक्तचाप से होने वाले खतरे अब हृदय रोगों तक ही सीमित नहीं रहे। पेरिस में फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च के डॉ क्रिस्ट्रोफर टजोरियों द्वारा किए गए एक शोध से यह सामने आया कि उच्च रक्तचाप के कारण हमारे मस्तिष्क की कार्य क्षमता के स्तर में भी गिरावट आती है। उन्होंने अपने शोध के दौरान यह पाया कि अगर उच्च रक्तचाप का इलाज न किया जाए तो मनुष्य की याद की क्षमता पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।विटामिन ई हृदय के लिए अच्छा
न्यूयार्क में किए गए एक शोध से यह सामने आया है कि विटामिन ई की आवश्यक मात्रा हृदयाघात की सम्भावना को कम करती है। हर वर्ष लगभग 750,000 लोग हृदयाघात का शिकार होते हैं और इसका कारण उच्च रक्तचाप और रक्त में कोलेस्ट्राल का बढ़ जाना है जिससे रक्त वाहिनियों का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है। यही नहीं, इससे मस्तिष्क में भी रक्त की सही मात्रा नहीं पहुंचती।
विटामिन ई एक एंटी-आक्सीडेंट है जो रक्त में मौजूद हानिकारक तत्वों को नष्ट करता है जिससे रक्त वाहिनियों का मार्ग अवरूद्ध नहीं हो पाता। इस शोध के मुख्य डॉ वाल्डर का कहना है कि हृदय रोगियों को फोलिक एसिड व विटामिन ई का सेवन अवश्य करना चाहिए। ब्रिटिश शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध से यह सामने आया है कि जो हृदय रोगी विटामिन ई, सी व बीटा केरोटिन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, उन्हें हृदयाघात होने की संभावना बहुत कम होती है।
डायटिंग वजन कम करने का गलत इलाज है
विशेषज्ञों के अनुसार डायटिंग से वजन स्थायी रूप से कम नहीं हो सकता। हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, आस्टिन व स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसन द्वारा किए गए शोध से यह सामने आया है कि डायटिंग कुछ समय के लिए करते हैं और फिर कुछ समय बाद उसे छोड़ दिया जाता है। इस तरह व्यक्ति ने कुछ दिन के लिए जो वजन कम किया था, वह बाद में फिर वही हो जाता है। डायटिंग छोड़ने के बाद व्यक्ति भोजन कम नहीं, अधिक लेता है।
यही नहीं, कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो वजन सही होने पर भी डायटिंग करते हैं जो उनके लिए हानिकारक होती है और पाचन तंत्रा को नुक्सान पहुंचाती है। कई लोग जुलाब वाली दवाओं को वजन कम करने के लिए प्रयोग में लाते हैं जिसके कारण उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसलिए डायटिंग से अच्छा व्यक्ति को अपने खान-पान में परिवर्तन कर वजन कम करने का प्रयास करना चाहिए।
तिल का तेल मालिश के लिये सर्वश्रेष्ठ
मेडिकल सांइस के यूनिवर्सिटी कॉलेज के शिशु विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों की मालिश के लिए सर्वाधिक उत्तम तिल का तेल है। उन्होंने 100 बच्चों पर इसका प्रयोग किया और चार प्रकार के तेल का प्रयोग किया जिसमें सरसों का तेल, तिल का तेल, विटामिन ई युक्त मिनरल तेल और एक हर्बल तेल का भी प्रयोग किया। बच्चों को चार गु्रपों में बांटा और हर गु्रप की एक अलग तेल से मालिश की। निष्कर्षों से सामने आया कि तिल के तेल द्वारा मालिश किए जा रहे बच्चों पर अच्छा प्रभाव सामने आया। उसके बाद सरसों का तेल लाभप्रद था। शेष दो तेलों का प्रभाव न के बराबर था।असंतृप्त वसा का सेवन लाभदायक
अमरीकी हार्ट एसोसिएशन द्वारा किए गए अध्ययनों से यह तथ्य सामने आया है कि वसा का सेवन हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है और इससे रोगों का खतरा भी कम हो जाता है लेकिन यह वसा संतृप्त वसा नहीं होनी चाहिए अर्थात् मांस, मक्खन से प्राप्त वसा को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
इस संस्था की आहार संबंधी समिति की विशेषज्ञ डॉ. पेनी का कहना है कि असंतृप्त वसा का सेवन करना चाहिए और यह मकई, सोयाबीन, जैतून का तेल, मूंगफली का तेल, काष्ठ फलों और बीजों में प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। अधिकतर लोग मोटापा कम करने के लिए वसा नहीं लेते लेकिन उन्हें भी अनाज, ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए व उत्तम वसा वाले आहार लेने चाहिएं।