नयी दिल्ली, कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक के बुलेटिन का हवाला देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के कुप्रबंधन के कारण देश की अर्थव्यवस्था बदहाल है और अधिकतर भारतीय परेशान हैं।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सरकार आंकड़ो को छिपाने और जनता को गुमराह करने का पूरा प्रयास कर रही है, लेकिल तथ्य झूठ नहीं बोल सकते।
रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘अक्टूबर, 2023 का आरबीआई बुलेटिन बेहद चिंताजनक आर्थिक चलन को दिखाता है। मोदी सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था का जिस तरह से लगातार कुप्रबंधन किया है वो इस बुलेटिन में स्पष्ट रूप से दिख रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘याद कीजिए कि सितंबर 2023 के बुलेटिन में कई नकारात्मक सूचकांक सामने आए थे। उनमें घरेलू बचत का 47 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचना, निजी क्षेत्र के लिए घरेलू ऋण में स्थिरता और श्रम-बल भागीदारी में ठहराव आदि शामिल थे। ये रुझान या तो वैसे ही बने हुए हैं, या और भी ज़्यादा बिगड़ गए हैं।’’ उनका कहना था, ‘‘शुद्ध घरेलू बचत में कमी आने का एक प्रमुख कारण यह है कि घरेलू देनदारियों में भारी बढ़ोतरी हुई है। वित्त मंत्रालय ने गुमराह करने के लिए दावा किया था कि यह बढ़ोतरी गृह और वाहन ऋण के कारण है जबकि आरबीआई के सितंबर के बुलेटिन ने स्पष्ट रूप से दिखाया था कि सोने के बदले कर्ज में 23 प्रतिशत और व्यक्तिगत ऋण में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आरबीआई का अक्टूबर का बुलेटिन इसकी पुष्टि करता है।’’
रमेश ने दावा किया कि अगस्त, 2023 में बैंक से लिए गए कुल लोन में सबसे ज़्यादा व्यक्तिगत ऋण लिए गए।
उनका कहना है, ‘‘इस बीच, औद्योगिक क्षेत्र की ऋण वृद्धि, जो निवेश और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है, धीमी हो रही है। अगस्त 2023 में यह केवल 6.1 प्रतिशत थी। यह पिछले वर्ष की तुलना में लगभग आधी और 2013 की सिर्फ़ एक-तिहाई है। इस बीच, उद्योग के लिए बैंक ऋण का हिस्सा मोदी सरकार द्वारा आधा कर दिया गया है – 2013 में गैर-खाद्य ऋण 46 प्रतिशत था जो 2023 में केवल 24 प्रतिशत रह गया।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि महंगाई दर 6.8 प्रतिशत के साथ नियंत्रण से बाहर है जो यह रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से काफी ऊपर है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘एक तरफ़ प्रधानमंत्री दूसरों को ‘रेवड़ी’ और राजकोषीय ज़िम्मेदारियों को लेकर प्रवचन देते हैं। दूसरी तरफ़, मोदी सरकार का ही राजकोषीय घाटा तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। पिछले वर्ष यह लगभग 20 प्रतिशत बढ़ा है। 2023-24 की पहली तिमाही में यह बढ़कर 6.4 लाख करोड़ रू से ज़्यादा हो गया।’’ रमेश ने कहा, ‘‘हर महीने जारी होने वाला आरबीआई बुलेटिन मोदी सरकार के लिए एक रिमाइंडर होना चाहिए कि वह चाहे जितना डेटा को छिपाने और जनता को गुमराह करने की कोशिश करे, बुनियादी तथ्य झूठ नहीं बोलते हैं – अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है और अधिकतर भारतीय पीड़ित हैं।’’