सहजन एक ऐसा औषधीय वृक्ष है जिसके प्रत्येक भाग में औषधीय गुण विद्यमान हैं। देखने पर मन को मोह लेने वाला यह पेड़ मौसम आने पर उजले फूलों से भर जाता है। धीरे-धीरे ये फूल लंबी-लंबी फलियों का रूप ले लेते हैं। ढोल की छड़ी की तरह दिखने के कारण इन्हें ‘ड्रमस्टिक‘ भी कहा जाता है।
सहजन की फलियां जब पक जाती हैं तो उनके बीज भी सूख जाते हैं। इन बीजों को पानी में रख देने से पानी एकदम शुद्ध हो जाता है। बीजों के चूर्ण को संक्रामक चर्म रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इस चूर्ण में नारियल तेल मिलाकर इसका मलहम के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनका उपयोग परिवार नियोजन के लिये भी किया जाता है।
इन बीजों में तेल भी निकाला जाता है जिसे ‘बेनऑयल‘ कहा जाता है। इसका प्रयोग इत्रा बनाने तथा घड़ियों के पुर्जों की सफाई में किया जाता है। सौंदर्य प्रसाधनों के लिए भी यह तेल बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लाया जाता है। यह गठिया के रोग में भी लादायक होता है। सहजन की पत्तियों में 27 प्रतिशत प्रोटीन तथा उपयुक्त मात्रा में विटामिन होते हैं। कैल्शियम, लौह, क्लोरीन, रेशा, मैग्नीशियम भी पत्तियों में प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। पत्तियों का उपयोग स्कर्वी, चर्मरोग और जोड़ों की तकलीफ में काफी लाभदायक हैं। इस पेड़ के फूल गुर्दों के लिए लाभकारी होते हैं। इसके जड़ों के अर्क (रस) मुंह की सूजन तथा हिस्टीरिया में इस्तेमाल होता है।