अंकिता अपनी 5 वर्षीय बेटी प्रिया की उधम से बेहद परेशान रहती है। प्रिया 10 मिनट भी चैन से नहीं बैठ सकती ।कभी अचानक घर से बाहर निकल जाती है और सीढ़ियों में भागदौड़ करते हुए चोटिल हो जाती है तो कभी क्रोकरी तोड़ देती है। कभी पड़ोसी बच्चों को चिकोटी काट लेती है तो कभी अपनी किताबों को फाड़ देती है ।
यह समस्या अकेली प्रिया की नहीं है बल्कि बहुत सारे बच्चों की है ।मनोविज्ञानियों का मानना है कि 3 से 12 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का एनर्जी लेवल और उत्सुकता बहुत ज्यादा होती है। इनमें से कुछ बच्चे हाइपर एक्टिव होते हैं जो ए डी एच डी यानी अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं। उन पर समुचित तरीके से ध्यान दिया जाए और प्रॉपर तरीके से हैंडल किया जाए तो उन्हें अपने घर में तूफान मचाने से रोका जा सकता है।
तूफानी बच्चों के लक्षण
थोड़ी बहुत उछल कूद और शैतानी सभी छोटे बच्चे करते हैं लेकिन उसे हम हाइपरएक्टिव या ंजजमदजपवद-कमपिबपज नहीं मान सकते। फर्क जानने के लिए इन बातों पर ध्यान दें।
कंसंट्रेशन की कमी – अगर बच्चा पढ़ाई लिखाई ,खिलौनों ,इंडोर गेम्स,दूसरे बच्चों के साथ खेलकूद आदि किसी चीज में मन नहीं लगा पाता और हर 10-20 मिनट में बेचैन होकर इधर-उधर दौड़ने लगता है या लगातार एक चीज से दूसरी चीज और फिर तीसरी एक्टिविटी में इन्वॉल्व होता है तो ये लक्षण ंजजमदजपवद-कमपिबपज के हैं।
एग्रेसिव बिहेवियर – तूफानी बच्चे अपने आसपास मौजूद लोगों से बातचीत करने में दिलचस्पी नहीं लेते और न ही आई कांटेक्ट बनाते हैं ।वे अपनी एक अलग ही दुनिया में जीते हैं । इसी प्रकार ये दूसरे बच्चों के साथ भी बहुत झगड़ते हैं और उन्हें चिकोटी या दांत काटने या बाल खींचने जैसी हरकतें करते रहते हैं ।
इमोशनल अपरिपक्वता – अगर बच्चे में उसकी उम्र के मुताबिक इमोशनल मेच्योरिटी या बुद्धिमत्ता नहीं है अथवा वह बहुत ज्यादा रोता और शोर करता है, अपनी उम्र के दूसरे बच्चों की तुलना में लर्निंग एबिलिटी कम है तो यह एडीएचडी का संकेत हो सकता है ।
अटेंशन सीकिंग – जो बच्चे बहुत ज्यादा डिमांडिंग होते हैं ,बात बात में जिद करते हैं और पेरेंट्स या अपने साथियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अजीबोगरीब हरकत करते हैं ,वे एडीएचडी चाइल्ड माने जाते हैं।
पैरेंट ऐसा करें
बेड टाइम फिक्स करें –
बच्चे के सोने के समय का निर्धारण करें। हर रोज उसे रात 9रू00 बजे तक बिस्तर पर लेटने की ट्रेनिंग दें। इसके लिए आपको उसे किसी एक्टिविटी से जोड़ना पड़ेगा। जैसे उसका पसंदीदा टॉय बेड टाइम पर देना ,सोने से पहले गुनगुना दूध देना या मीठा म्यूजिक चलाकर थपकी देते हुए सुलाना।
पैम्पर करें पर लिमिट में – बच्चे की शैतानियों व उधम को नजरअंदाज ना करें ।गलतियों पर उसे डांटें और पनिश करें। उसे बताएं कि दूसरे बच्चे शांत रहते हैं तो कितने प्यारे लगते हैं। उसकी हर जिद पूरी न करें भले ही वह चाहे जितना रोए ।यह बात उसे स्पष्ट रूप से बता दें कि सिर्फ वाजिब और जरूरी चीजें ही दिलाई जा सकती हैं या उसकी उचित बातें ही मानी जा सकती हैं।
उसे व्यस्त रखें – बच्चे का ऐसा रूटीन बनाएं कि वह ज्यादातर समय उपयोगी और उसके लिए फायदेमंद या फिर क्रिएटिव एक्टिविटी में व्यस्त रहे ।इसके इससे उसकी ऊर्जा सही दिशा में इस्तेमाल हो जाएगी ।पेंटिंग ,क्ले टॉय,ड्राइंग ,इनडोर स्पोर्ट्स ,स्कूल से मिले होमवर्क,स्टोरी रीडिंग,पोएम पढ़ने और सुनाने आदि में उसकी रुचि जगाएँ और परफॉर्म करने पर उसकी प्रशंसा करें या छोटा-मोटा गिफ्ट दें ।
घरेलू कार्यों में साथ लें – बच्चे स्वभाव से जिज्ञासु होते हैं और चुपचाप बैठना पसंद नहीं करते, इसलिए उन्हें व्यस्त रखने के लिए घरेलू कामों में उनकी मदद लें ।जैसे आप सब्जी काटे तो उसे छिलके थैली में डालकर अलग रखने को कहें ,आप रोटी बना रही हो तो उसे परोसने की मदद के लिए कहें, सामान खरीदने जाएं तो उसे साथ ले जाएं और हिसाब लगाने का काम दें। जिससे बच्चे का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और उसे अच्छा लगेगा ।
अपना टेंपर लूज न करें – बच्चे की धमाचैकड़ी से परेशान होना स्वभाविक है लेकिन उसे पीटने या बुरी तरह चिल्लाने की गलती ना करें । इससे वह दिन पर दिन ढीठ होता चला जाएगा। उसे हमेशा प्यार से समझाएं।
मनोचिकित्सक की सलाह लें – अगर आप लोगों को लगे कि बच्चा हद से ज्यादा शैतानी कर रहा है तो मनोचिकित्सक से सलाह लेने में ना हिचकें। बिहेवियरल थेरेपी से ऐसे बच्चों के व्यवहार में काफी सुधार आता है।