खांसी किसी को भी, कभी भी हो सकती है। साधारण खांसी व्यक्ति को उतना परेशान नहीं करती जितना कि तेज व लगातार होने वाली खांसी से व्यक्ति हलकान हो जाता है। लगातार होने वाली खांसी में चाकलेट तेज दवा का काम करता है। वास्तव में देखा जाए तो चाकलेट में कोको मिली होती है और कोको में थियोब्रोमिन नामक तत्व होता है जो किसी भी तरह की खांसी को रोकने में प्रयुक्त आम दवाओं की तुलना में तीन गुना तीव्र तेज असरकारक होता है। खांसी एवं हृदय रोग में लाभदायी चाकलेट दांतों के लिए नुक्सानदायक भी है। अतएव सावधानी के साथ सीमित मात्रा में चाकलेट खाएं एवं हृदय व खांसी जैसे रोगों में वांछित लाभ पाएं।
आस्था से स्वास्थ्य लाभ
अपने देश की बहुसंख्यक जनता आस्थावान है। जब व्यक्ति बीमार की स्थिति में होता है तब यह धर्म आस्था या किसी बात पर आस्था गहरी हो जाती है इसीलिए पूजा पाठ जैसे धार्मिक कार्य, भभूत और पानी जैसी चीजों से बीमार व्यक्ति भला चंगा हो जाता है। डिस्टिल्ड वाटर के इंजेक्शन, पाउडर की गोली से भी वह स्वस्थ हो जाता है।
वास्तव में व्यक्ति जब आस्थावान होता है, तब उसकी इच्छा शक्ति जाग जाती है एवं प्रबल हो जाती है। यही संबल उसे नवजीवन देने में बड़ा काम आता है। इसीलिए यह कहा जाता है जहां दवा असर नहीं दिखाती, वहां दुआ (प्रार्थना) से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है।
दर्द देने लगा है कंप्यूटर
कंप्यूटर आवश्यकता की आधुनिक चीज बन गई है। हर घर, हर दफ्तर के आधुनिक होने की यह पहचान बन गई है। कंप्यूटर का बहुपयोगी होना ही इसे लगातार लोकप्रिय बना रहा है। उपयोगिता के कारण इसके दीवाने एवं इस पर ज्यादा देर तक बैठने वाले बढ़ गए हैं। यही दीवानगी एवं ज्यादा देर तक बैठना दर्द का कारण बनता जा रहा है।
कलाई व उंगलियों में दर्द की शिकायत बढ़ गई है। कमर एवं गर्दन में भी दर्द की परेशानियां ऐसे लोगों में बढ़ गई हैं। इससे आंखों की तकलीफ उठाने वाले भी बढ़ गए हैं। यह आधुनिक साधन के गंभीर खतरे की घंटी सदृश्य है। कंप्यूटर का लगातार उपयोग करें किंतु बीच-बीच में उसे छोड़कर चहल कदमी भी करें ताकि हल्का फुल्का व्यायाम करें एवं फ्रेश हो जाएं।
खराब दांत फेफड़े भी खराब कर खराब कर देते हैं
दांतों की नियमित सफाई नहीं करने पर ये गंदे, बदरंग व खराब हो जाते हैं, इनकी गंदगी एवं परत से दांत व मसूड़े दोनों भी खराब होने लगते हैं। खराब दांतों से शरीर के कई अंग भी प्रभावित होते हैं। दांतों की गंदगी व बीमारी फेफड़े तक पहुंचकर उसे भी संक्रमित कर सकती है। उसकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो जाती है। कुछ भी खाने व पेय पीने के बाद कुल्ला कर मुंह साफ करना चाहिए जबकि दिन भर में दो समय दांतों की नियमित सफाई करनी चाहिए। यह सफाई अच्छी तरह करनी चाहिए। साफ दांत हमारे जीवन को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इंटरनेट से किशारों का स्वास्थ्य प्रभावित
स्कूली होमवर्क पूरा करने के लिए किशोरों में इंटरनेट का उपयोग बढ़ गया है जिसके चलते किशोरों को अब दो-तीन घंटे या उससे अधिक समय तक इंटरनेट का उपयोग करने के लिए कंप्यूटर पर बैठना पड़ता है जिसके चलते किशोरों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा है। उससे जुड़ी समस्याएं पैदा होने लगी हैं। असमय अवसाद का खतरा पैदा हो गया है।
अध्ययन में पाया गया कि शहरों के वे बच्चे जो इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई करते हैं वे इंटरनेट का उपयोग अधिकाधिक करते हैं। यही बच्चे आगे चलकर मानसिक स्वास्थ्य एवं उसकी परेशानी से जूझ रहे हैं। अवसाद, चिड़चिड़ेपन एवं बेचैनी से घिर रहे हैं।
व्यस्त रहें, खुश रहें और स्वस्थ रहें
खुश होना बहुत बड़ी चीज है। लोग इसके लिए नानाविध उपाय करते हैं। आज के आपाधापी वाले युग में व्यक्ति हर पल तनावग्रस्त रहता है। तनावग्रस्त व्यक्ति को खुशी के पल कम नसीब होते हैं। कभी-कभी तो इंतजार का एक-एक पल भारी रहता है। ऐसे समय में किसी अन्य कार्य में लग जाने पर यह इंतजार की घड़ी जल्दी व खुशी-खुशी कट जाती है।
वैसे भी फालतू रहने की बजाय व्यस्त रहकर खुशी केवल हासिल करना ज्यादा उचित है। व्यस्त रहकर खुश रहें और स्वस्थ रहें। ऐसे समय में रचनात्मक कार्य करें टहलते हुए समय बिताएं।