नयी दिल्ली, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा पर राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान झूठे दावे करने के लिए ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निजी धार्मिक आस्था का उल्लेख करने का आरोप लगाया और निर्वाचन आयोग से उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और अर्जुन राम मेघवाल तथा पार्टी नेता अनिल बलूनी और ओम पाठक सहित भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस महासचिव के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए निर्वाचन आयोग को एक शिकायत सौंपी।
भाजपा ने अपनी शिकायत में कहा है कि वाद्रा ने 20 अक्टूबर को दौसा में एक जनसभा में कहा था कि उन्होंने टीवी पर देखा कि जब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक मंदिर में दिए गए दान का एक लिफाफा खोला गया तो उसमें केवल 21 रुपये थे।
भाजपा के अनुसार, प्रियंका ने कहा कि उन्होंने खबर देखी है लेकिन उन्हें नहीं पता कि यह दावा सही है या नहीं।
इसके बाद उन्होंने भाजपा पर राजनीतिक हमला करते हुए कहा कि भाजपा जनता को ‘लिफाफे’ दिखाती है लेकिन चुनाव के बाद उनमें कुछ नहीं मिलता। भाजपा ने अपनी शिकायत में उनकी टिप्पणी का एक वीडियो भी शामिल किया है।
राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं।
मेघवाल और पुरी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने मौजूदा कानूनों के अनुसार ‘अपराध’ किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या प्रियंका गांधी कानून से ऊपर हैं? क्या वह किसी कानून में विश्वास करती है? वह वैमनस्य फैलाने के लिए धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल कर रही हैं। वह ऐसा नहीं कर सकतीं।’’
मेघवाल ने कहा कि मोदी के दान से संबंधित दावा झूठ है और मीडिया ने भी इसे प्रमुखता दी है। उन्होंने कहा कि वह (प्रियंका) जनवरी में प्रधानमंत्री की मंदिर यात्रा के संबंध में अब भी झूठ दोहरा रही हैं।
भाजपा ने निर्वाचन आयोग से की गई शिकायत में कहा, ‘‘प्रियंका गांधी के इस बयान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत धार्मिक श्रद्धा का उल्लेख करके स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मूल बुनियाद का उल्लंघन किया है।’’
भाजपा ने कहा कि उनकी टिप्पणी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन किया है।
इसमें कहा गया है कि आईपीसी चुनाव के संबंध में गलत बयान देने को भी अपराध मानता है जब इरादा चुनाव के परिणाम को प्रभावित करना हो।
भाजपा ने कहा, ‘‘इसलिए, आयोग से अनुरोध किया जाता है कि वह आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए तत्काल कार्रवाई के साथ-साथ आरपीए 1951 और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के अनुसार उचित कानूनी कार्यवाही शुरू करे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी को भी झूठे, निंदात्मक और अपमानजनक बयान देकर, फर्जी कथा बनाकर चुनावों को प्रभावित करने की अनुमति न दी जाए या इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान देकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत न किया जाए।’’