‘मजनू’ के किरदार में अरशद वारसी

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अक्षय कुमार की लीड रोल वाली कॉमेडी से भरपूर फिल्म ‘वेलकम’ (2007) को लोगों ने काफी पसंद किया था। फिल्म में अनिल कपूर और नाना पाटेकर ने ‘मजनू’ और ‘उदय’ का रोल निभाया और इस जोड़ी ने दर्शकों के दिल में खास जगह बना पाने में कामयाबी हासिल की थी।

इस फिल्म के दूसरे भाग ‘वेलकम बैक’ (2015) में अक्षय कुमार नदारत थे और उनकी जगह जॉन अब्राहम ने ले ली थी। खबर है कि अब इस फ्रेंचाइजी का तीसरा भाग जिसे ‘वेलकम टू द जंगल’ टाइटल दिया गया है, किसी भी वक्‍त सैट पर आ सकता है और इसे अगले साल क्रिसमस पर रिलीज किया जायेगा।

खबरों के अनुसार इस तीसरे भाग के लिए, अक्षय कुमार को एक बार फिर कास्ट किया गया है लेकिन इस बार फिल्म में अनिल कपूर और नाना पाटेकर की ‘मजनू’ और ‘उदय’ वाली जोड़ी नहीं नहीं होगी। नाना पाटेकर के फिल्म में न होने की अपनी वजह हैं लेकिन अनिल कपूर ने ज्यादा प्राइज पाने के चक्कर में यह फिल्म गंवा दी।

 कहा जा रहा है कि अनिल कपूर को लगता था कि ‘वेलकम’ का कोई भी भाग बिना मजनू के पूरा नहीं हो सकता, इसलिए उन्हों ने मजनू का किरदार निभाने के लिए इस बार 18 करोड़ रुपए की भारी फीस की डिमांड कर डाली लेकिन उनका यह दांव उलट गया।

 मेकर्स ने, न केवल उनकी मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया बल्कि उन्हें बाहर का दरवाजा दिखाते हुए ‘मजनू’ वाला रोल अरशद वारसी को दे दिया । ‘उदय’ के रोल के लिए नाना पाटेकर की जगह इस बार संजय दत्त को कास्ट किये जाने की खबरें आ रही हैं।

 अरशद वारसी को बेशक उतनी कामयाबी न मिल सकी हो लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि वह जबर्दस्त कॉमिक टाइमिंग वाले एक्टर हैं। ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ जैसी फिल्मों में उनके साथ काम कर चुके फिल्म मेकर राजकुमार हिरानी तो, जब कभी उन्हैं मौका मिलता है, अरशद वारसी की प्रशंसा करने से नहीं चूकते। संजय दत्त के साथ अरशद की कॉमिक टाइमिंग को खूब पसंद किया जाता रहा है।

 फिल्म इंडस्ट्री में ‘सर्किट’ के नाम से मशहूर, 55 के हो चुके अरशद वारसी बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं। उन्होंने एक से बढकर एक, कई शानदार फिल्में की है।

फिल्म ‘काश’ के दौरान महेश भट्ट के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर अपने कैरियर की शुरूआत करने वाले अरशद वारसी ने 1993 में आई अनिल कपूर और श्रीदेवी अभिनीत फिल्म ‘रूप की रानी चोरो का राजा’ का एक गाना कोरियोग्राफ किया था।

 1996 में बतौर एक्टर उन्हें पहली फिल्म जॉय अगस्टीन व्दारा निर्देशित ‘तेरे मेरे सपने’ मिली। जया बच्चन के कारण अरशद को मिली इस फिल्‍म का निर्माण अमिताभ बच्‍चन  की बंद हो चुकी कंपनी एबीसीएल व्दारा किया गया था। फिल्म हिट रही । इसके बाद अरशद ने कभी मुड़कर नहीं देखा।

‘बेताबी’ (1997) और ‘मेरे दो अनमोल रतन’ (1998) के बाद अजीज सैजवाल की ‘हीरो हिंदुस्तारनी’ (1998) में वो पहली बार नमृता शिरोडकर के अपोजिट लीड रोल के रूप में नजर आए। ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ (2003) में उन्‍होंने सर्किट का यादगार किरदार निभाया। उसके बाद उसके सीक्वल ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ (2006) में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए अरशद ने फिल्मफेयर अवार्ड जीते।

यह दोनों फिल्में उनके कैरियर के लिए महत्वपूर्ण और निर्णायक मोड़ वाली साबित हुईं हालांकि यहां तक पहुंचने का सफर अरशद वारसी के लिए इतना आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा।