संसद की 75 वर्षीय यात्रा पर चर्चा : विपक्ष ने संघवाद के खतरों के प्रति किया आगाह

नयी दिल्ली,  राज्यसभा में सोमवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने देश के विकास में संसद के योगदान की सराहना करते हुए सरकार को संघवाद पर मंडरा रहे खतरों के प्रति आगाह किया तथा कई सदस्यों ने नये संसद भवन में महिला आरक्षण संबंधी विधेयक पारित करने की मांग की।

उच्च सदन में ‘संविधान सभा से अब तक 75 वर्षों की संसदीय यात्रा-उपलब्धियां, अनुभव, स्मृतियां और सीख’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने कहा कि संविधान में संघवाद का एक बार भी उल्लेख नहीं किया गया है फिर भी यह इस देश की आत्मा है। उन्होंने कहा कि यह राज्यों की सभा है और इसमें ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे संघवाद की भावना प्रभावित होती है।

उन्होंने कहा कि राज्यों को कोष से वंचित करना लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को 2021 से मजदूरी नहीं दी जा सकी है। उन्होंने कहा कि यह राशि करीब चार हजार करोड़ रूपये है और इसमें यदि मजदूरी के अलावा अन्य मदों को जोड़ दिया जाए तो यह करीब सात हजार करोड़ रूपये बैठती है।

हक ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार के करोड़ों रूपये रोक रखे हैं। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल जिस ‘‘डबल इंजन’’ सरकार की बात करता है वह संघवाद तथा भारत की आत्मा के खिलाफ है।

तृणमूल सदस्य ने कहा, ‘‘भारत का संतुलन न्यायपूर्ण ढंग से काम करने पर निर्भर है। उन राज्यों को दंडित नहीं करिए जिन्होंने योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है किंतु जो राजनीतिक रूप से आपके विरोधी हैं।’’

उन्होंने आगाह करते हुए कहा, ‘‘राजनीतिक दल आते जाते रहते हैं। प्रधानमंत्री आते जाते रहते हैं किंतु भारत की संसद एवं संविधान सदा के लिए बने रहेंगे।’’

कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा, ‘‘(संसद) भवन बदलने से कुछ नहीं होगा, दिल की भावना बदलनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि विश्व में लोकतंत्र को श्रेष्ठ प्रणाली माना जाता है फिर भी ‘‘हम कहते हैं कि राम राज्य हो तो अच्छा है।ऐसा क्यों कहते हैं क्योंकि वह ऐसे राजा थे जो सबकी आवाज सुनते थे।’’

उन्होंने कहा कि जब एक धोबी ने प्रशासक के खिलाफ आवाज उठायी तो उसे राजा ने देशद्रोही नहीं कहा। उन्होंने कहा कि राजा ने उसके घर सीबीआई-ईडी नहीं भेज दी बल्कि कहा कि राजा शक से परे होना चाहिए।

गोहिल ने रामकथा में शबरी के जूठे बेर खाने के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि एक समय राजा ऐसे होते थे जो महिलाओं का इतना सम्मान करते थे, किंतु आज के शासक को मणिपुर में एक महिला के प्रति अत्याचार होने और उच्चतम न्यायालय के फटकार लगाये जाने पर भी महिला के सम्मान के प्रति कोई चिंता नहीं होती।

उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान का मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने सत्ता पक्ष को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा विपक्ष में रहने के दौरान प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बारे में जो शब्द कहे थे, उन्हें पढ़ने और उन पर विचार करने की नसीहत दी।

अन्नाद्रमुक के एम. थंबीदुरई ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि तमिल ही नहीं आठवीं सूची में जितनी भाषाएं हैं उन सभी को राजभाषा का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में संघवाद ही नहीं क्षेत्रवाद भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रवाद बढ़ने के कारण तमिलनाडु में राष्ट्रीय दलों की उपस्थिति कम हो गयी।

थंबीदुरई ने कच्चातिवु द्वीप का मामला उठाते हुए कहा कि यह भारत का हिस्सा है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।