नयी दिल्ली, केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि बढ़ती मांग को देखते हुए कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता में 25,000 से 30,000 मेगावाट का और इजाफा हो सकता है। यह 50,000 मेगावाट की निर्माणधीन क्षमता के अलावा है।
उद्योग मंडल सीआईआई के सम्मेलन में सिंह ने कहा कि भारत में इस समय लगभग 25,000 मेगावाट की कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता निर्माण प्रक्रिया में है। जबकि 25,000 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता स्थापित किये जाने की योजना है।
उन्होंने कहा कि भारत तेजी से प्रगति कर रहा है और बिजली की मांग भी बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिसे पूरा करना होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश में 25,000 से 30,000 मेगावाट की क्षमता और बढ़ाई जा सकती है।
इसी महीने देश में बिजली की मांग 2,41,000 मेगावाट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने हालांकि कहा कि अगर हम 24 घंटे नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध कराने में सफल हो जाते हैं तो हमें कोयला आधारित बिजली की क्षमता बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने कहा है कि भारत जल्द ही भंडारण के रूप में हरित हाइड्रोजन का उपयोग करके 24 घंटे 100 मेगावाट स्वच्छ बिजली उत्पादन के लिए एक प्रायोगिक परियोजना शुरू करेगा।
सिंह ने कहा कि यहां सबसे सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा होने के कारण भारत हरित हाइड्रोजन और अमोनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा निर्यातक बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश पहले से ही हरित हाइड्रोजन के लिए पर्याप्त विनिर्माण क्षमता हासिल कर ली है। इससे वह खुद को इस उभरते क्षेत्र में अगुवा के रूप में स्थापित कर रहा है।
मंत्री ने कहा कि पिछले दो महीनों में बिजली का औसत मूल्य आठ रुपये प्रति यूनिट रहा। अगर हम हरित हाइड्रोजन भंडारण का उपयोग 24 घंटे नवीकरणीय ऊर्जा को छह रुपये प्रति यूनिट कर देते हैं तो भविष्य नवीकरणीय ऊर्जा का होगा।