वाशिंगटन, अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को अंतरिक्ष के क्षेत्र में और अधिक विस्तारित करने की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए शुक्रवार को कहा कि यह स्वाभाविक है कि दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश अपने मौजूदा अंतरिक्ष सहयोग को और विस्तृत करें और इस क्षेत्र में मिलकर काम करना जारी रखें।
संधू ने समाचार पत्रिका ‘वाशिंगटन एग्जामिनर’ में एक आलेख लिखा है। उन्होंने लिखा है, ‘‘भारत और अमेरिका, दोनों दुनिया भर के विकासशील देशों को अंतरिक्ष-संबंधित ऐप्लिकेशन और सेवाएं प्रदान करने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल कर सकते हैं।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘वास्तव में, भारत पहले से ही ऐसे देशों को जंगल की आग का पता लगाने, सौर ऊर्जा गणना, मौसम संबंधी डेटा और आपदा प्रबंधन सहायता जैसी सेवाएं प्रदान करता है, जबकि नासा, अपने पृथ्वी अवलोकन (ईओ) डेटा और अन्य पहलों के माध्यम से दुनिया के कई हिस्सों में एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) की दिशा में प्रगति में सहायता मुहैया कराने में अग्रणी रहा है। हम साथ मिलकर, हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।’’
‘अंतरिक्ष भारत-अमेरिका सहयोग के लिए अगला क्षेत्र है’ शीर्षक वाले अपने आलेख में, राजदूत संधू ने लिखा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि चंद्रमा मिशन सिर्फ भारत का नहीं बल्कि पूरी मानवता की सफलता है।
उन्होंने लिखा कि समावेश की यह भावना भारत-अमेरिका संबंधों को भी संचालित करती है, जिसे दोनों देशों के नेताओं ने “वैश्विक भलाई के लिए साझेदारी” बताया है।
संधू ने लिखा, ‘‘सेमीकंडक्टर से लेकर रक्षा तक, हरित ऊर्जा से लेकर महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों तक, हमारा सहयोग हर कल्पनीय मानव प्रयास को छूता है। यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि हम अपने मौजूदा अंतरिक्ष सहयोग को और गहरा करें और इस मोर्चे पर मिलकर काम करना जारी रखें। वास्तव में, जब भारत और अमेरिका एकसाथ आते हैं, तो संभावनाओं की कोई सीमा नहीं है।’’
जून 2023 में प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच शिखर बैठक के बाद, इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) और अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग का पता लगाने की प्रतिबद्धता जतायी है।
चंद्रयान-3 द्वारा भेजे जा रहे डेटा से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को समझने में मदद मिलेगी, जहां यह कल्पना की गई है कि चंद्रमा पर अगले अंतरिक्ष यात्री उतर सकते हैं।
भारतीय दूत ने लिखा, वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र संभावनाओं से भरा एक और क्षेत्र है और भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या वर्ष 2020 में केवल चार से बढ़कर आज 150 से अधिक हो गई है।
संधू ने कहा कि 2023 की भारतीय अंतरिक्ष नीति ने भारतीय और अमेरिकी निजी क्षेत्र के भागीदारों के बीच उद्योग, निवेश और अनुसंधान सहयोग के रास्ते खोल दिए हैं।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत-अमेरिका सहयोग पर टिप्पणी करते हुए, राजदूत ने कहा कि दोनों देश नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एनआईएसएआर) उपग्रह के प्रक्षेपण की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं, जो आपदा प्रबंधन और संसाधन निगरानी में मदद करेगा।
उन्होंने लिखा, ‘‘दुनिया भर में स्थित नासा के ग्राउंड स्टेशन चंद्रयान -3 की ट्रैकिंग, गहरे अंतरिक्ष संचार और नेविगेशन में सहयोग कर रहे हैं। जनवरी 2023 में शुरू की गई भारत-अमेरिका क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) के तहत अंतरिक्ष को एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है।’’