सदैव सूर्य की और झुका रहता है यह पुष्प, इस देश का राष्ट्रीय पुष्प है ‘सूरजमुखी’

फूल हर किसी को पसंद होते हैं, ये कुदरत का वो तोहफा है जो हर किसी को भाता है। अलग-अलग रंगो के फूल लगता हैं मानों जिंदगी के हर रंग को दर्शाते हैं। सोचिए अगर ये ना होते, तो बाग कैसे गुलजार होते, बालाओं के बालों में गजरे कैसे सजते। इसी की महत्ता को बताते हुए माखनलाल चतुर्वेदी ने अपनी कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ में पुष्प का उल्लेख किया है। जिसमें लिखा गया “मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक” माना जा सकते हैं कि फूलों का हमारी जिंदगी में अहम किरदार है। ये ना सिर्फ सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि जीवन में काम आने वाली कई उपयोगी वस्तुओं के रूप में भी फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे- खाने के काम में लिया जाने वाला तेल, सुंगधित इत्र फूलों से ही प्राप्त किया जाता है। इन्हीं फूलों में एक है सूरजमुखी का फूल। पीले रंग का यह फूल दिखने में जितना खूबसूरत लगता है इसके फायदे तथा उपयोग भी इतने ही है।
सूरजमुखी के बारे में
सूरजमुखी को ‘सूर्यमुखी’ भी कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम हेलियनथस एनस है। इसका उत्पादन कई देशों में किया जाता है। हेलिएंथस गण के इस पौधे की लगभग साठ जातियां पाई गई हैं। जिनमें हेलिएंथस ऐमूस, हेलिएंथस डिकैपेटलेस, हेलिएंथिस मल्टिफ्लोरस, हे. औरगैलिस, हे. ऐट्रोरुबेंस, हे. जाइजेन्टियस तथा मौलिस प्रमुख हैं। यूं तो सूरजमुखी मूल रूप से अमेरीका का पौधा है। लेकिन इसके अलावा यह रूस, अमेरीका, ब्रिटेन, मिस्र, डेनमार्क, स्वीडन और भारत में भी उगाया जाता है। सूरजमूखी का फूल पीले रंग का होता है, बीच में से फूल भूरे रंग का होता है।इसका बीज भूरे तथा सफेद रंग के होते हैं। सूरजमूखी के बीज से तेल भी निकाला जाता है। इसके अलावा वाहनों के ईधन के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसका तेल जैतून के तेल से सस्ता होता है। इसलिए बायोडीजल के रूप में भी कई देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
इतिहास
सूरजमुखी मूल रूप से मध्य अमेरिका का पौधा है। इसे पहली बार करीब 2600 ईस्वी पूर्व में मेक्सिको में उगाया गया था। अनुमान है कि इसे दूसरी बार एक मध्य मिसिसिपी घाटी में उगाया गया था। सूरजमुखी को हर प्रकार के रंगों में मिलाया जा सकता है। सूरजमुखी के सबसे प्रारंभिक ज्ञात उदाहरणों में पाया गया कि इसे 2300 ईसा पूर्व में सबसे पहले टेनेसी में उगाया गया था।सूरजमुखी अमेरिका के कान्सास राज्य का राज्य फूल है। 16 वीं सदी की शुरूआत में इसके बीज स्पेन ले जाए गए। 18 वीं शताब्दी तक यूरोप में सूरजमुखी के तेल का प्रयोग करना लोकप्रिय हो गया था। धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल तेल बनाने के लिए भी किया जाने लगा।
नाम के पीछे यह है कारण
इसका नाम सूरजमुखी इसलिए पड़ा, क्योंकि यह सदैव पूर्व दिशा यानी सूर्य की ओर झुका रहता है। इसका पौधा 1 मीटर से 5 मीटर तक लंबा होता है। इसके डंठल इतने नरम होते हैं कि तेज हवा के झोंके से टूट जाते हैं। इसकी पत्तियां 7 सेंटीमीटर से 30 सेंटीमीटर लंबी होती है।